कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तान की सेना द्वारा की गई भारी गोलीबारी से आम नागरिकों के घर तबाह हो गए हैं। भारत की सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत प्रभावी जवाबी कार्रवाई की है। इस हमले ने सीमा पर तनाव को और बढ़ा दिया है, जबकि स्थानीय नागरिकों में डर और गुस्से का माहौल है।
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कश्मीर के एलओसी (LoC) से सटे इलाकों में एक बार फिर पाकिस्तान की नापाक हरकत देखने को मिली है। हाल ही में हुई पाकिस्तानी सेना की बेकसूर नागरिकों पर भारी फायरिंग ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी। रिहायशी इलाकों पर मोर्टार दागे गए, जिससे कई घर जमींदोज हो गए और दर्जनों लोग घायल हो गए। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य है – सीमापार से आ रही आतंकी गतिविधियों और गोलाबारी पर करारा प्रहार।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय जवानों ने न सिर्फ दुश्मन की पोस्टों को टारगेट किया, बल्कि आतंकी लॉन्चपैड्स को भी तबाह किया है। सेना का यह ऑपरेशन एक सख्त चेतावनी है कि अब पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह की उकसावे की कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान की ओर से की गई अंधाधुंध फायरिंग ने स्थानीय कश्मीरी नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। कई ग्रामीणों ने बताया कि रातभर गोलियों की आवाज से गांव थर्राते रहे। बच्चे और महिलाएं सुरक्षित स्थानों पर छिपने को मजबूर हुए। राहत और बचाव कार्य में जुटी टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन सीमा पर बसे इन गांवों में हर कोई डर और बेचैनी में जी रहा है।
स्थानीय प्रशासन द्वारा अस्थायी शेल्टर बनाए गए हैं, जहां प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। हालांकि, ग्रामीणों की मांग है कि भारत सरकार सीमा सुरक्षा को और मजबूत करे और उन्हें स्थायी समाधान दे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ महज एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का स्पष्ट संदेश है। सेना ने कहा है कि यह ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक सीमा पार से फायरिंग पूरी तरह बंद नहीं हो जाती। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की “प्रोएक्टिव मिलिट्री स्ट्रेटेजी” से पाकिस्तान को साफ संदेश मिलेगा कि भारत अब किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को सहन नहीं करेगा।
इससे पहले भी भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के जरिए आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भी उसी श्रंखला में अगला निर्णायक कदम माना जा रहा है।
घटना के बाद सभी राजनीतिक दलों ने एक सुर में भारतीय सेना के साहस और जवाबी कार्रवाई की सराहना की है। रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा है और इसके लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है।
विपक्षी दलों ने भी इस बार राजनीतिक मतभेद भुलाकर सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया और कहा कि देशहित में सभी को एकजुट रहना चाहिए।