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उत्तराखंड: केदारनाथ धाम के कपाट सजे भव्य श्रृंगार में, भक्तों ने किया बाबा के दर्शन का इंतजार

उत्तराखंड के पावन तीर्थस्थल केदारनाथ धाम के कपाट पूरे वैदिक रीति-रिवाज और मंत्रोच्चार के बीच आज विधिवत रूप से सजाए गए। कपाटों की सजावट में रंग-बिरंगे फूलों और पारंपरिक प्रतीकों का उपयोग किया गया, जिससे मंदिर परिसर का वातावरण भक्तिमय हो गया। कपाट खुलने से पहले हजारों श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में जुट चुके हैं और बाबा के दर्शन को लेकर उत्साहित हैं।

By bishanpreet345@gmail.com 

Updated Date

केदारनाथ धाम के कपाट सजे दिव्य श्रृंगार में, श्रद्धालुओं में उमड़ा उत्साह

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व देशभर में जाना जाता है। हर वर्ष वैशाख मास में कपाट खुलने से पहले की जाने वाली भव्य सजावट एक विशेष आकर्षण होती है। इस वर्ष भी मंदिर के कपाटों को दिव्य और पारंपरिक रूप से सजाया गया, जिसमें हजारों किलो फूल, धार्मिक झंडे, और पारंपरिक आभूषणों का इस्तेमाल किया गया।

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केदारनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर विशेष गुलाब, गेंदा और रजनीगंधा के फूलों से मनमोहक सजावट की गई। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर परिसर में जुटने लगे, और जैसे-जैसे पूजन की प्रक्रिया आगे बढ़ी, भक्तों का जोश भी बढ़ता गया। मंदिर के पुजारियों और तीर्थ पुरोहितों ने वेद मंत्रों के साथ पूजा संपन्न करवाई और बाबा के दर्शन के लिए कपाटों के सजाए जाने की प्रक्रिया पूरी की।

आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का संगम

कपाट सजने की यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह बाबा केदार के प्रति असीम भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक भी है। फूलों से सजी दीवारें, दीपों की रौशनी और धूप-ध्वनि से गूंजता मंदिर प्रांगण—हर एक तत्व भक्तों को एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

इस अवसर पर स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। मंदिर तक पहुंचने वाले मार्गों की साफ-सफाई, हेल्थ चेकअप कैम्प, और ट्रैफिक नियंत्रण जैसी व्यवस्थाएं पहले से तैयार रखी गई थीं। चार धाम यात्रा की शुरुआत के साथ ही अब केदारनाथ में भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

केदारनाथ धाम की सजावट केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आजीविका का साधन भी मिलता है। फूलों की सजावट में उपयोग किए गए अधिकतर फूल स्थानीय किसानों से खरीदे गए, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।

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इस आयोजन में स्थानीय कलाकारों, पारंपरिक गायक मंडलियों और वाद्य यंत्रों के माध्यम से सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दी गईं। श्रद्धालुओं ने भी भजन और कीर्तन में भाग लेकर वातावरण को और अधिक पावन बना दिया।

बाबा केदार के जयकारों से गूंजा धाम

जैसे ही कपाट सजने की प्रक्रिया पूरी हुई, भक्तों ने जोर-जोर से “जय बाबा केदार” के नारे लगाए। चारों ओर भक्ति और विश्वास का माहौल था। इस अनूठे धार्मिक आयोजन ने हर किसी के मन में अध्यात्म की लौ जला दी।

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