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आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम: मायावती की सख्त चेतावनी और सख्त कार्रवाई की मांग

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने वाले तत्वों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। उनके इस बयान ने देश की सुरक्षा नीति को लेकर नई बहस छेड़ दी है। मायावती का यह रुख राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

By bishanpreet345@gmail.com 

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भारत की राजनीति में अपनी मजबूत पहचान रखने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर केंद्र सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका यह बयान उस समय आया है जब देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी गतिविधियों की खबरें सामने आ रही हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो भी लोग देश में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कठोरतम कदम उठाए जाने चाहिए।

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मायावती का यह बयान न केवल राजनीतिक बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा से कोई भी समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। “सरकार को चाहिए कि वह किसी भी प्रकार के आतंकवादी तत्वों के खिलाफ तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करे,” उन्होंने जोर देकर कहा। उनका मानना है कि सख्ती से ही देश को सुरक्षित रखा जा सकता है।

देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाले आतंकी तत्वों के प्रति मायावती की इस प्रतिक्रिया को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। लोगों का मानना है कि अब वक्त आ गया है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए ऐसे तत्वों को जड़ से खत्म किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को पूरी स्वतंत्रता दी जानी चाहिए ताकि वे बिना किसी दबाव के कार्रवाई कर सकें।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती का यह रुख उन्हें एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित करता है, जो समाज के सभी वर्गों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानती हैं। उनके इस बयान से यह भी संकेत मिलता है कि अब विपक्ष भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाने को तैयार है। यह देश की लोकतांत्रिक मजबूती का प्रमाण है कि हर दल आतंकवाद के खिलाफ एक जैसी सोच रखता है।

हाल के वर्षों में भारत ने कई बार आतंकी हमलों का सामना किया है। पुलवामा, उरी और अन्य घटनाएं यह बताती हैं कि हमें सतर्क और मजबूत नीति की आवश्यकता है। ऐसे में मायावती जैसे वरिष्ठ नेताओं की ओर से इस प्रकार की सख्त मांग आना सरकार पर सकारात्मक दबाव बनाता है। यह बयान केंद्र सरकार के लिए एक अवसर है कि वह सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर एक ठोस और राष्ट्रव्यापी रणनीति बनाए।

विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई भी अभियान केवल सुरक्षाबलों के दम पर नहीं जीता जा सकता, इसके लिए राजनीतिक एकजुटता, प्रशासनिक पारदर्शिता और जनसमर्थन अनिवार्य है। मायावती का यह बयान इन तीनों मूल स्तंभों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मायावती ने यह भी कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकी तत्वों की विचारधारा फैलाने वालों पर भी नजर रखनी चाहिए। फेक न्यूज़ और कट्टरपंथी विचारधाराओं के प्रचार-प्रसार पर नियंत्रण जरूरी है। इसके लिए साइबर सुरक्षा एजेंसियों को भी और अधिक सशक्त बनाया जाना चाहिए।

भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में आतंकवाद सिर्फ सुरक्षा का ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी संकट है। इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए हर स्तर पर समन्वय आवश्यक है। मायावती ने न केवल सरकार से कार्रवाई की मांग की है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि उनकी पार्टी राष्ट्रहित में हर संभव सहयोग देने को तैयार है।

आज जब देश को एकजुट होकर आतंकी ताकतों का मुकाबला करने की जरूरत है, ऐसे में राजनीतिक नेतृत्व का स्पष्ट और कड़ा रुख अत्यंत आवश्यक हो गया है। मायावती का बयान न केवल एक राजनेता का वक्तव्य है, बल्कि यह हर उस भारतीय की भावना का प्रतिनिधित्व करता है जो शांति, सुरक्षा और स्थायित्व चाहता है।

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