अटारी-वाघा बॉर्डर के अस्थायी रूप से बंद होने से कई भारतीय पासपोर्ट धारक महिलाएं, जो पाकिस्तान में अपने परिजनों से मिलने जा रही थीं, बीच रास्ते में फंस गई हैं। बॉर्डर बंद होने की वजह से उन्हें अमृतसर में रुकना पड़ा और उनके प्लान्स पर पानी फिर गया। इस फैसले के मानवीय पहलुओं को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
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भारत-पाकिस्तान के बीच का अटारी-वाघा बॉर्डर केवल एक सीमारेखा नहीं है, यह उन सैकड़ों परिवारों की भावनाओं का सेतु भी है जो दोनों देशों में बसे हैं। हाल ही में अटारी बॉर्डर के अचानक बंद किए जाने से विशेष रूप से भारतीय पासपोर्ट धारक महिलाओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। ये महिलाएं पाकिस्तान में अपने परिवारों, रिश्तेदारों या धार्मिक यात्राओं के लिए जा रही थीं, लेकिन बॉर्डर बंद होने की वजह से उनकी योजनाएं अधूरी रह गईं।
अमृतसर में रुकी इन महिलाओं में से कई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें सरकारी सूचना की कमी और अचानक लिए गए इस निर्णय से बहुत निराशा हुई है। कुछ महिलाओं ने बताया कि वे महीनों से यात्रा की तैयारी कर रही थीं, लेकिन बॉर्डर बंद होने की सूचना आखिरी समय पर दी गई, जिससे उन्हें होटल में रुकने, टिकट कैंसिल करने और मानसिक तनाव झेलना पड़ा।
अटारी बॉर्डर का यह बंद होना सुरक्षा कारणों या कूटनीतिक मुद्दों की वजह से हो सकता है, लेकिन इसमें मानवीय पहलुओं की अनदेखी ने इस मुद्दे को संवेदनशील बना दिया है। महिलाएं, जिनमें बुजुर्ग और छोटे बच्चों की मां भी शामिल थीं, घंटों बॉर्डर खुलने की प्रतीक्षा करती रहीं। उनका कहना है कि सरकार को कम से कम ऐसे यात्रियों को पहले से सूचित करना चाहिए था ताकि वे यात्रा स्थगित कर सकतीं या वैकल्पिक योजना बना सकतीं।
प्रभावित यात्रियों और उनके परिजनों ने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील की है कि अटारी बॉर्डर की स्थिति को लेकर स्पष्टता लाई जाए। इसके अलावा यात्रियों को पूर्व सूचना देने के लिए अलर्ट सिस्टम या डिजिटल नोटिफिकेशन की मांग भी जोर पकड़ रही है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से जोड़ते हुए केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर संवेदनशील रवैया अपनाने की मांग की है।
इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार को घेरा है। कुछ नेताओं ने कहा कि “कूटनीतिक फैसले मानवीय पहलुओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। खासकर जब बात आम नागरिकों की हो, जो किसी राजनीतिक या कूटनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं होते।” वहीं सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे यात्रियों की चिंता और बढ़ गई है।
ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए स्पष्ट और पारदर्शी नीति की आवश्यकता है ताकि भविष्य में यात्रियों को अनावश्यक मानसिक और आर्थिक पीड़ा न झेलनी पड़े। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे यात्रियों के लिए सहायता केंद्र, आपातकालीन हेल्पलाइन, और रिफंड सुविधा जैसे कदम उठाए। साथ ही, भारत और पाकिस्तान के बीच सीमावर्ती आवाजाही के लिए एक स्थायी मार्गदर्शिका तैयार की जानी चाहिए।